Maha Mrityunjaya Jaap – महामृत्युंजय मंत्र सवा लाख जाप
भगवान शिव मोक्ष और ज्ञान को देने वाले है अतः जो महामृत्युंजय का जाप करता है उसे भगवान शिव का आश्रय मिलता है वह सम्पत्तिवान, कीर्तिवान, विद्वान और दीर्घायु होता है। यदि किसी का धन किसी दूसरे व्यक्ति के पास फँसा हो अर्थात वह लौटा न रहा हो, यदि कोई शत्रुओं से प्रताड़ित हो या कोई ग्रह बाधा, भूत बाधा के चक्कर मे फँस गया हो या किसी ने सम्मोहन विद्या द्वारा बुद्धि को फेर दिया हो तो ऐसी परिस्थिति मे महामृत्युजंय मंत्र रामबाण के समान है।
टीम : 5 व्यक्ति
पूजन व पाठ : 7 दिन (सवा लाख जाप)
नोट: टीम के आने-जाने व रहने का व्यय आयोजक को करना होगा।
महामृत्युंजय मंत्र जाप सवा लाख जाप
ऊँ हौं ओम जूं सः। ऊँ भूर्भुवः स्वः त्र्यंबकंयजामहे सुगंधिं पुष्टि वर्द्धनं।
उर्वारूकमिव बंधनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्। भूर्भुवः स्वरों जूं सः हौं ऊँ ।।
अर्थात हम त्र्यंबक भगवान शिव का ध्यान करते है जो कि जीवन की मधुर परिपूर्णता को पोषित करने वाले है। और जीवन वृद्धि करने वाले है। भगवान रूद्र मृत्यु को भी टालने की शक्ति रखते हैं व काल को भी बाध सकते हैं। सर्वप्रथम यह मन्त्र भगवान शिव की कृपा से शुक्राचार्य को प्राप्त हुआ था। इस मन्त्र को पाने के लिये देव गुरू बृहस्पति तथा दैत्य गुरू शुक्राचार्य ने साथ-साथ तपस्या प्रारम्भ की किन्तु देवगुरू उस कठिन तपस्या को पूर्ण नही कर पाये और असफल होकर लौट गये। परन्तु शुक्र देव अपनी तपस्या में विघ्नों के आने के बाद भी लगे रहे और अन्त मे भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हे महामृत्युंजय मन्त्र की दीक्षा दी।
जो व्यक्ति इस मन्त्र रूपी कवच को धारण करके चलता है, उसे किसी भी अनहोनी का सामना नही करना पड़ता। यह मन्त्र बडे़ से बडे़ रोग को भी ठीक कर सकता है। जिसकी कुण्डली मे कालसर्प योग, वैधव्य योग या कोई अन्य प्रकार का अनिष्टकारक योग हो तो महामृत्युंजय के जाप से सब ठीक हो जाता है। महामृत्युंजय का जप करने वाले पर भगवान शिव की विशेष कृपा रहती है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, वह सभी अनिष्टों से मुक्त हो जाता है। इस मन्त्र के जप से शारीरिक, मानसिक तथा आर्थिक सभी प्रकार की समस्यायें दूर हो जाती हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने वाले या इसका विधिवत अनुष्ठान कराने वाले को हर तरह के अभीष्ट फल प्राप्त होते है, हर तरह की विषम परिस्थितियों से वह सहज ही निकल जाता है।
कार्य प्रणाली
- ग्रह रचना – नवग्रह, सप्तमातृका, षोडश मातृका, कलश, गणेश गौरी वास्तु आदि
- पूजन , स्तुती
- जप महामृत्युंजय मंत्र जाप
- हवन , आरती
- प्रसाद वितरण
- ब्राह्मण व कन्या भोजन








Akhand Ram Charit Manas Paath - श्री रामचरितमानस पाठ 