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Gopal Sashranaam – गोपाल सहस्रनाम पाठ

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जो विधिपूर्वक गोपालसहस्रनाम का पाठ करता है या अनुष्ठान कराता है वह सर्वमान्य होकर अचल सम्पत्ति का मालिक बन जाता है। उसके उपर सदा लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है। उसे अल्पमृत्यु का भी सामना नही करना पड़ता। इसलिए श्रद्धापूर्वक गोपालसहस्र नाम का अवश्य ही अनुष्ठान कराना चाहिए।

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    गोपाल सहस्रनाम पाठ

    गोपाल सहस्रनाम का कलियुग मे बहुत ही महत्व है। पहले तो ये जान लेते हैं कि गोपाल का अर्थ क्या है। सामान्य तौर पर गोपाल गायों को पालने वाले और उनकी रक्षा करने वाले को कहते है। किन्तु मात्र गायों को पालने के कारण कृष्ण का नाम गोपाल नही है। गोपाल का अर्थ है अपनी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने वाला। ‘‘गो‘‘ का अर्थ होता है इन्द्रिय जैसे गोस्वामी अर्थात इन्द्रियो का स्वामी। अर्थात जो अपनी दसो इन्द्रियो को मन, बुद्धि, वाणी, चित्त, अहंकार आदि को अपने वश मे कर लेता है। गोचर अर्थात समय उसके बस मे हो जाता है। और जिसके बस मे समय है वही गोपाल कहलाता है।

    हमारे वैदिक शास्त्रो मे त्रितापिक कष्टो से बचने के लिए वहुत से भिन्न-भिन्न उपायों के वारे मंे बताया गया है। जिसमे से गोपाल सहस्रनाम का सवसे अधिक महत्व है। यह पाठ चमत्कारी फल प्रदान करने वाला है इसलिए भगवान श्री कृष्ण के गोपाल नाम को लेकर हमारे ऋषि मुनियों ने उनके हजार नामों से स्तुती की है। जिसे गोपाल सहस्र नाम से जाना जाता है। इसके पाठ करने वाले की षट विकारों से रक्षा होती है व मन शान्त रहता है।

    गोपाल सहस्रनाम कल्पवृक्ष के समान है। जिस प्रकार कल्प वृक्ष के नीचे आने वाले की सभी अभिलाषायें पूर्ण हो जाती हैं। उसी प्रकार गोपाल सहस्रनाम का पाठ करने वाले की सभी मनोकामनाएँ अनायास ही पूर्ण हो जाती है। गोपाल सहस्रनाम का जो पाठ करता है या कराता है उसे सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, उसका कोई कभी अशुभ नही कर सकता। इसका पाठ करने वाला कीर्तिमान, विद्वान, धनवान और विजयी होता है।

    मूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले जातकों को गोपाल सहस्रनाम का पाठ कराना चाहिए। इससे मूल जनित कष्ट प्राप्त नही होते। धन की प्राप्ति का यह अचूक उपाय है। जिसको सन्तान न होती हो या गर्भ मे ही बार-बार नष्ट हो जाती हो उसके लिए गोपाल सहस्रनाम औषधि के समान है। यदि विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, नौकरी मे अड़चनें आ रहीं हों, झूठे केस मे फँसे हो, कुण्डली मे शनि, राहू आदि ग्रह कुदृष्टि डाल रहे हों। गुरू चन्द्र आदि नीचस्थ होकर कष्ट दे रहे हों। मार्केश, गुरूचाण्डाल आदि अशुभ योग बन रहे हों तो गोपाल सहस्रनाम के पाठ से सब बाधा दूर हो जाती हैं।

    कार्य प्रणाली

    • नवग्रह, सप्तमातृका, षोडश मातृका, कलश, गणेश गौरी वास्तु आदि
    • पूजन , स्तुती
    • जप द्वादश अक्षरी मन्त्र
    • पाठ प्रारम्भ
    • हवन , आरती
    • प्रसाद वितरण
    • ब्राह्मण व कन्या भोजन