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Grih Pravesh Poojan – गृह प्रवेश पूजन

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कभी कभी हमारा प्यारा घर अशुभ फल देने लगता है, घर मे कलह क्लेश बढ़नें लगता है। घर के सदस्य बीमार रहने लगते, अचानक दुर्घटनाओं का सामना करना पडता है और धीरे धीरे उस घर मे देखे सभी सपने टूट जाते है। इसका मुख्य कारण यह होता है कि आपने बिधि-बिधान से गृह प्रवेश नही किया या जाने-अन्जाने वास्तु नियमों का पालन नही किया। इस लिएग्रह तथा गृहक्लेश से बचने के लिए वास्तु शान्ति तथा वास्तु की देवी भद्रकाली माता का विधिवत पूजन अवश्य करें

टीम : 1 व्यक्ति

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    गृह प्रवेश पूजन

    घर बनाने का सपना हर जीव धारी देखता है। पंक्षी अपने लिए घोंसला बना लेते है कीडे बिल बना कर रहते है तथा जानबर भी गुफा आदि मे रहते है अर्थात सुखपूर्वक रहने के लिए घर की आवश्यक्ता सभी के लिए है फिर मनुष्य के लिए अपना घर होना किसी सपने से कम नही। पहली बार अपने घर मे प्रवेश करने की जो खुशी है उसे हम सभी समझ सकते है अनुभव कर सकते है किन्तु उसका वर्णन नही कर सकते। परन्तु कभी कभी ये सारी खुशियाॅ एक पल मे नष्ट हो जाती है। कभी कभी हमारा प्यारा घर अशुभ फल देने लगता है, घर मे कलह क्लेश बढ़नें लगता है। घर के सदस्य बीमार रहने लगते, अचानक दुर्घटनाओं का सामना करना पडता है और धीरे धीरे उस घर मे देखे सभी सपने टूट जाते है। इसका मुख्य कारण यह होता है कि आपने बिधि-बिधान से गृह प्रवेश नही किया या जाने-अन्जाने वास्तु नियमों का पालन नही किया। इस लिएग्रह तथा गृहक्लेश से बचने के लिए वास्तु शान्ति तथा वास्तु की देवी भद्रकाली माता का विधिवत पूजन अवश्य करें

    गृह प्रवेश के मुख्य नियम- सबसे पहले गृह प्रवेश के लिए दिन, तिथि, वार, एवं नक्षत्र को ध्यान मे रखते हुए गृहप्रवेश की तिथि तथा समय का निर्धारण किया जाता है। गृह प्रवेश के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना परम आवश्यक है। इन सबके लिए प्रथम तो किसी योग्य ज्योतिषी के मुहूर्त निकलवाएं फिर किसी विद्वान पण्डित की सहायता ले जो विधिपूर्वक मंत्रोच्चारण कर गृह प्रवेश की पूजा को सम्पन्न करा सके

    गृह प्रवेश सर्वप्रथम कलश पूजन होता है इसके लिए किसी तीर्थ स्थान नदी या सरोवर मे वरूण भगवान का पूजन कर कलश को जल से भर के घर लाए फिर गृह मे प्रवेश करने से पूर्व द्वार पूजा होती है। बिधिपूर्वक द्वार पूजा के उपरान्त सूर्यास्त से पूर्व ही गृह प्रवेश कर लेना चाहिए अर्थात दिन मे ही गृह प्रवेश करे कभी रात्रि मे न करे

    घर को वन्दनवार, रंगोली, फूलों आदि से सजाना चाहिए, मंगल कलश मे पंचपल्लव लगाकर उसके ऊपर नारियल रखे नारियल पर स्वास्तिक का चिन्ह वनाए। भगवान श्रीगणेश तथा माता लक्ष्मी की मूर्ति रखें तथा दक्षिणावर्ती शंख, श्रीयन्त्र आदि को भी गृह प्रवेश वाले दिन स्थापित करें। मंगल गीतों, स्वस्तिवाचन आति के साथघर मे प्रवेश करे। फिर रसोई घर मे चूल्हे की तथा नलज की पूजा करें फिर हवन मे भद्रकाली माता का भोग लगाने के लिए सर्वप्रथम चूल्हे पर मिठाई या खीर वनानी चाहिए। फिर आंगन मे यर पूजा घर मे बिधिवत हवन करावें। फिर ब्राह्मण तथा कन्याओं को भोजन कराएं गरीबों को भोजन दें। सामथ्र्य हो तो अपने रिस्तेदारों पडोसियों को भी भोजन का निमन्त्रण दे ऐसा करने से सुख-शान्ति और समृद्धि आती है।