भगवत महापुराण (जिसे श्रीमद्भागवत या भागवत पुराण भी कहा जाता है) हिन्दू धर्म के अठारह प्रमुख पुराणों में से एक है। यह एक अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक ग्रंथ है, जिसे वैष्णव संप्रदाय में विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है। इसमें भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण की महिमा, लीलाएँ और उपदेशों का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन है।
📘 भगवत महापुराण की मुख्य विशेषताएँ:
1. रचना और रचयिता:
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इसकी रचना महर्षि व्यास ने की थी।
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यह संस्कृत में लिखा गया है और कुल 12 स्कंध (खंड) और 18,000 श्लोक हैं।
2. विषय-वस्तु:
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सृष्टि की उत्पत्ति, ईश्वर की महिमा, धर्म-अधर्म की पहचान, भक्ति का महत्व, मोक्ष की प्राप्ति आदि पर विस्तृत चर्चा है।
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श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं, रासलीला, गोपी प्रेम, गीता उपदेशों जैसी घटनाएँ इसमें प्रमुख रूप से वर्णित हैं।
3. श्रीकृष्ण चरित्र:
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श्रीकृष्ण की बाल्यावस्था से लेकर द्वारका लीला तक का सुंदर विवरण है।
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उनके उपदेश, जैसे उद्धव को दिया गया ज्ञान, गूढ़ और गहन आध्यात्मिक बातें बताते हैं।
4. भक्ति मार्ग की प्रधानता:
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भागवत पुराण में भक्ति योग को सबसे श्रेष्ठ मार्ग बताया गया है।
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भक्त प्रह्लाद, ध्रुव, विदुर, शुकदेव आदि की कथाएँ भक्ति की महिमा दर्शाती हैं।
5. कथा के प्रसंग:
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राजा परीक्षित को शुकदेव मुनि द्वारा 7 दिनों में सुनाई गई कथा ही भागवत महापुराण के रूप में प्रसिद्ध है।
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यह कथा मृत्यु के भय से मुक्ति और आत्मा की शुद्धि का मार्ग बताती है।
🔯 प्रमुख पात्र और प्रसंग:
पात्र / प्रसंग | विवरण |
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श्रीकृष्ण | उनके सम्पूर्ण जीवन की झलक |
ध्रुव | बालक जिसकी भक्ति से भगवान प्रकट हुए |
प्रह्लाद | हिरण्यकशिपु का भक्त पुत्र |
राजा परीक्षित | जिन्हें 7 दिनों में भागवत कथा सुनाई गई |
शुकदेव मुनि | भागवत कथा के वक्ता |
नारद मुनि | प्रेरणा और मार्गदर्शन देने वाले ऋषि |