काली खांसी, जिसे परट्यूसिस (Pertussis) भी कहा जाता है, एक गंभीर और संक्रामक रोग है जो मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करता है। यह बीमारी बैक्टीरिया Bordetella pertussis के संक्रमण से होती है। काली खांसी का नाम इस बीमारी के विशिष्ट लक्षण, जो कि जोरदार और लगातार खांसी के दौरे होते हैं, के कारण पड़ा है।
लक्षण
- प्रारंभिक लक्षण:
- सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण
- हल्की खांसी
- नाक बहना
- हल्का बुखार
तीव्र चरण के लक्षण:
- जोरदार और लगातार खांसी के दौरे
- खांसी के बाद गहरी सांस लेने पर ‘कूंक’ की आवाज आना
- खांसी के दौरान उल्टी होना
- खांसी के दौरे के कारण थकावट
कारण
काली खांसी का मुख्य कारण Bordetella pertussis नामक बैक्टीरिया है। यह बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा में फैलता है और अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है।
आयुर्वेदिक उपचार
- तुलसी के पत्ते और कालीमिर्च समान मात्रा में पीस लें। इसकी मूंग के बराबर की गोलियां बना लें। एक-एक गोली को चार बार देना चाहिए। इससे कुकर (काली) खांसी नष्ट हो जाती है।
- 5 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम पिपली और 20 ग्राम अनारदाना को पीसकर इसमें गुड़ मिलाकर चने के आकार की गोलियां बना लें। फिर इन गोलियों को छाया में सुखाकर रख लें। इसकी 1-1 गोली को दिन में 2-3 बार चूसने से काली खांसी दूर हो जाती है
- केले के सूखे पत्तों को जलाकर राख बना लें। इस राख को थोड़ी सी मात्रा में लेकर शहद में मिलाकर रोगी को दिन में 3-4 बार देने से काली खांसी दूर हो जाती है
- बड़ी इलायची के दानों को तवे पर भूनकर उसमें बराबर मात्रा में सौंफ, मुलहठी और मुनक्का (बीज निकालकर) पीसकर चूर्ण बना लें। इसके एक चौथाई ग्राम से भी कम चूर्ण को शहद में मिलाकर रोजाना 2-3 बार चाटने से काली खांसी में लाभ मिलता है।
- 100 से 250 मिलीलीटर काली बकरी का दूध दो सप्ताह तक पिलाने से काली खांसी दूर हो जाती है
- फिटकरी को दरदरा (मोटा-मोटा) पीसकर तवे पर भूनते समय केले के पेड़ के गूदे का पानी 100 मिलीलीटर थोड़ा-2 कर गेरते जाएं फिर इसे उतारकर ठंड़ा करके पीस लें। इसे एक चौथाई ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम चटाएं। इससे काली खांसी का प्रकोप शान्त हो जाता है।
- लगभग आधा ग्राम भुनी हुई फिटकरी तथा आधा ग्राम मिश्री को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को खिलाने से पांच दिनों में ही कालीखांसी दूर हो जाती है। वयस्कों (बालिग व्यक्तियों) को काली (कुकुर) खांसी होने पर उन्हें दुगुनी मात्रा में देना चाहिए। यदि बिना पानी के निगल न सके तो एक-दो घूंट गर्म पानी ऊपर से पिलाना चाहिए।
- थोड़ी सी भुनी हुई फिटकरी लेकर इसमें थोड़ी सी शक्कर मिलाकर दिन में 3 बार खाने से 5 दिन में ही खांसी ठीक हो जाती है।
- एक चौथाई ग्राम से कम मात्रा में फिटकरी की भस्म को सुबह-शाम लगभग आधा ग्राम काकड़ासिंगी के चूर्ण और शहद को मिलाकर देने से बहुत अच्छा लाभ मिलता है।
- चने की दाल के बराबर पिसी हुई फिटकरी को गर्म पानी से रोजाना 3 बार लेने से कुकुर खांसी ठीक हो जाती है।
- 10 बून्द पान के पत्तों के रस में शहद मिलाकर 1-1 बार चाटने से काली खांसी में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
- हल्दी की 3-4 गांठों को तोड़कर तवे पर भूनकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी से लेने से कालीखांसी में आराम आता है।
- तवे को आग पर रखकर लौंग को भून लें, फिर उस लौंग को पीसकर शहद में मिलाकर चाटने से काली खांसी ठीक हो जाती है।
- थोड़ी-सी लौंग तवे पर भूनकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रखें। इस लौंग के चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से कालीखांसी दूर हो जाती है।
- बच्चों को काली खांसी में एक चौथाई ग्राम से कम गोरोचन को सुबह-शाम शहद के साथ चटाने से लाभ मिलता है।
- गोरोचन शुद्ध होना चाहिए क्योंकि यह मार्केट में बहुत अधिक मात्रा में नकली पाये जाते हैं।
- सुहागा, कलमीशोरा, फिटकरी, कालानमक और यवक्षार को पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। फिर इसे तवे पर भूनकर 2-2 ग्राम की मात्रा में शहद को मिलाकर बच्चों को चटाने से कालीखांसी दूर हो जाती है।
- तवे पर भुना हुआ सुहागा व वंशलोचन को मिलाकर शहद के साथ रोगी बच्चे को चटाने से कालीखांसी दूर हो जाती है