गुरु तत्व का रहस्य
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गुरु तत्व का रहस्य

शास्त्रों में यह धारणा परिपुस्ट की गई है तथा लोगो के विचार में यह धारणा द्रढ. रहती है की गुरू एक ही हो सकता है परन्तु शास्त्रों के गहन अध्धययन से तथा जीवन में घटनाओं के अनुभव से यह पता चलता है गुरू एक नहीं अनेक हो सकते है – श्रीमद्भागवत के अनुसार पर्मावाधूत श्री…

गुरु दीक्षा क्या है?
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गुरु दीक्षा क्या है?

दीक्षा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द दक्ष से हुई है जिसका अर्थ है कुशल होना। समानार्थी अर्थ है – विस्तार। इसका दूसरा स्रोत दीक्ष शब्द है जिसका अर्थ है समर्पण अतः दीक्षा का सम्पूर्ण अर्थ हुआ – स्वयं का विस्तार। दीक्षा के द्वारा शिष्य में यह सामर्थ्य उत्पन्न होती है कि गुरु से प्राप्त…

मंगला गौरी व्रत
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मंगला गौरी व्रत

सुहागिन महिलाएं जरूर करें यह व्रत जानें महत्व और पूजा विधि मंगला गौरी का व्रत हर साल सावन मास के मंगलवार के दिन रखा जाता है। ऐसे में सावन में आने वाले सभी मंगलवार का विशेष महत्व होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्या दोनों ही रखती हैं। यह व्रत माता पार्वती…

सावन माह में ही रुद्राभिषेक का विशेष महत्व क्यों
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सावन माह में ही रुद्राभिषेक का विशेष महत्व क्यों

मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर तरह की अच्छी मनोकामनओं की पूर्ति करते हैं। इस कारण से सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ का मंदिर और घर में रुद्राभिषेक करने का खास महत्व होता है। भगवान शिव का रुद्राभिषेक…

अशून्य शयन व्रत
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अशून्य शयन व्रत

जल्द ही चातुर्मास शुरू होने वाला है। इन चार महीनों में हर महीने कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को अशून्य शयन व्रत रखा जाता है। इस व्रत की शुरुआत सावन माह से होती है। भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को यह व्रत करने की परंपरा है। जिस तरह महिलाएं…

देवशयनी एकादशी का व्रत
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देवशयनी एकादशी का व्रत

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व बताया गया है। यह व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। एकादशी के दिन उपवास रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। प्रत्येक महीने में 2 बार एकादशी का व्रत पड़ता है पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण…

जगन्नाथजी का रहस्य
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जगन्नाथजी का रहस्य

जगन्नाथ मन्दिर से जुडी एक बेहद रहस्यमय कहानी प्रचलित है, जिसके अनुसार मन्दिर में मौजूद भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के भीतर स्वयं ब्रह्मा विराजमान है। ब्रह्म कृष्ण के नश्वर शरीर में विराजमान थे और कृष्ण की मृत्यु हुई तब पाण्डवों ने उनके शरीर का दाह-संस्कार कर दिया लेकिन कृष्ण का दिल (पिण्ड) जलता ही रहा।…

वाराणसी की कथा
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वाराणसी की कथा

यह कथा द्वापरयुग की है जब भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र ने काशी को जलाकर राख कर दिया था। बाद में यह वाराणसी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह कथा इस प्रकार हैः मगध का राजा जरासंध बहुत शक्तिशाली और क्रूर था। उसके पास अनगिनत सैनिक और दिव्य अस्त्र-शस्त्र थे। यही कारण था कि आस-पास…

भड्ल्या नवमी आज, जानें शुभ मुहूर्त, तिथि एवं महत्व
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भड्ल्या नवमी आज, जानें शुभ मुहूर्त, तिथि एवं महत्व

हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के अगले दिन भड़ली नवमी मनाई जाती है। यह दिन अक्षय तृतीया की तरह शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो भड़ली नवमी स्वंयसिद्ध तिथि है। इस तिथि पर सभी प्रकार के शुभ कार्य कर सकते हैं। साथ ही शुभ…

श्रद्धा और विश्वास
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श्रद्धा और विश्वास

कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र को विशाल सेनाओं के आवागमन की सुविधा के लिए तैयार किया जा रहा था। उन्होंने हाथियों का इस्तेमाल पेड़ों को उखाड़ने और जमीन साफ करने के लिए किया। ऐसे ही एक पेड़ पर एक गौरैया अपने चार बच्चों के साथ रहती थी। जब उस पेड़ को उखाड़ा जा रहा था तो उसका…

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