आगामी 6 जुलाई से गुप्त नवरात्रि का पर्व प्रारंभ होने बाला है, नवरात्र अर्थात् मां भगवती के नौ रूपों, नौ शक्तियों की पूजा के वो दिन जब मां हर मनोकामना पूरी करती है। यूं तो हर साल चैत्र और शारदीय नवरात्र होते हैं जिनमें लोग पूरी श्रद्धा के साथ घट स्थापना करते हैं लेकिन 2 और नवरात्र भी होते हैं… गुप्त नवरात्र इनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार गुप्त नवरात्र वर्ष में 2 बार आते हैं एक माघ महीने में और दूसरा आषाढ़ महीने में..!
गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की होती है पूजा
✍🏻गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की बजाय दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ये दस महाविद्याएं हैं – माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी।
✍🏻वर्ष में 2 बार आने वाली गुप्त नवरात्रि बेहद खास होती है। इस नवरात्र की पूजा विधि चैत्र और शारदीय नवरात्रि से बिल्कुल अलग होती है और यही कारण है कि गुप्त नवरात्रि अन्य नवरात्र से बिल्कुल अलग और खास होते हैं। कहते हैं इन नवरात्रों में मां भगवती की देर रात गुप्त रूप से पूजा की जाती है और इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है।
शैव साधनाओं का पर्व:- गुप्त नवरात्रि के दौरान साधक तांत्रिक क्रियाएं, शैव साधनाएं, श्मशान साधनाएं, महाकाल साधनाएं, आदि करते हैं और सफलता प्राप्त कर लेने पर विभिन्न शक्तियों और दुर्लभ सिद्धियों के स्वामी बन जाते हैं। गुप्त नवरात्रि के दौरान विनाश और संहार के देव, महाकाल और महाकाली की आराधना होती है..!!
कुछ वैदिक अनुष्ठान से यह कार्य भी लाभदायक रहते हैं जैसे………
पति प्राप्ति के लिये मन्त्र-
कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि !
नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:!!
यह मंत्र दुर्गा सप्तशती का संपुटित पाठ किसी योग्य ब्राहमण से करवाऐ माता से प्रार्थना करें हे माँ मै आपकी शरण में आ गयी मुझे शीघ्र अति शीघ्र सौभाग्य की प्राप्ति हो और मेरी मनोकामना शीघ्र पुरी हो माँ भगवती कि कृपा से अवश्य सफलता प्राप्त होगी।
पत्नी प्राप्ति के मंत्र
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम.!!
माँ दुर्गा सप्तशती का संपुटित पाठ किसी योग्य ब्राह्मण से करवाऐ आपकी मनोकामना शीघ्र पूरी होगी.!!
शत्रु पर विजय ओर शांति प्राप्ति के लिए
सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्.!!
बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिएः
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय..!!