ऋषि दुर्वासा और कल्पवृक्ष
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ऋषि दुर्वासा और कल्पवृक्ष

एक समय जब श्री रामचंद्र जी का दर्शन करने के लिए अपने साठ हजार शिष्यों सहित दुर्वासा ऋषि अयोध्या को जा रहे थे, तब मार्ग में जाते हुए दुर्वासा ने सोचा कि, मनुष्य का रूप धारण कर यह तो विष्णु जी ही संसार में अवतीर्ण हुए हैं; यह तो मैं जानता हूँ किन्तु संसारी जनों…

श्राद्ध विधि और नियम
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श्राद्ध विधि और नियम

“जय श्रीराम। जय श्रीकृष्ण।आज हम बात करेंगे श्राद्ध विधि और उसके नियमों की।पितृ पक्ष में श्राद्ध करना बहुत ही पुण्यकारी माना गया है।शास्त्र कहते हैं कि –‘श्रद्धया दीयते यत् तत् श्राद्धम्’अर्थात जो कार्य श्रद्धा से किया जाए वही श्राद्ध है। श्राद्ध केवल एक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने…

श्राद्ध पक्ष की कथा
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श्राद्ध पक्ष की कथा

एक बार महाभारत युद्ध के बाद, भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर से कहा —“राजन! मनुष्य के जीवन में तीन ऋण प्रमुख होते हैं – देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। जब तक यह ऋण नहीं चुकाए जाते, तब तक आत्मा मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकती।” पितामह ने आगे बताया —“पितरों का ऋण चुकाने का…

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