“जय श्रीराम। जय श्रीकृष्ण।
आज हम बात करेंगे श्राद्ध विधि और उसके नियमों की।
पितृ पक्ष में श्राद्ध करना बहुत ही पुण्यकारी माना गया है।
शास्त्र कहते हैं कि –
‘श्रद्धया दीयते यत् तत् श्राद्धम्’
अर्थात जो कार्य श्रद्धा से किया जाए वही श्राद्ध है।
श्राद्ध केवल एक कर्मकांड नहीं है, बल्कि यह अपने पितरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक माध्यम है।”
? श्राद्ध की विधि (Step by Step)
1. संकल्प
– स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
– पितरों का नाम, गोत्र और तिथि लेकर संकल्प करें।
2. आसन और दिशा
– कुशा का आसन बिछाएँ।
– दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठें (दक्षिण दिशा पितरों की मानी जाती है)।
3. अर्घ्य और आह्वान
– तिल और जल मिलाकर अर्घ्य दें।
– “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः” मंत्र से पितरों का आह्वान करें।
4. पिंडदान
– पके हुए चावल, तिल, घी और शहद मिलाकर पिंड बनाएँ।
– तीन पिंड बनाकर पितरों को अर्पित करें –
- एक पितामह (दादा) के लिए,
- एक प्रपितामह (परदादा) के लिए,
- एक तत्पितामह (परपरदादा) के लिए।
5. तर्पण
– जल, तिल और कुशा से तर्पण करें।
– यह कहते हुए अर्पण करें:
“ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः, ॐ मातामह्यै स्वधा नमः।”
6. ब्राह्मण भोजन और दान
– ब्राह्मण को भोजन कराएँ।
– वस्त्र, अन्न, और दक्षिणा का दान करें।
7. समापन
– अंत में प्रार्थना करें –
“हे पितरों, आप हमारी वंश वृद्धि, सुख-समृद्धि और धर्म पालन में आशीर्वाद दें।”
? श्राद्ध में नियम (What to Follow & Avoid)
✅ क्या करें:
- श्रद्धा और शुद्ध भाव से कर्म करें।
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके श्राद्ध करें।
- तिल, कुशा और जल का प्रयोग अनिवार्य है।
- ब्राह्मण और गौ-सेवा करना शुभ है।
❌ क्या न करें:
- श्राद्ध के दिन नशा, मांस-मद्य और तामसिक भोजन वर्जित है।
- हँसी-मज़ाक, निंदा या क्रोध नहीं करना चाहिए।
- घर में मांगलिक कार्य जैसे शादी, उत्सव आदि इस दिन टालने चाहिए।
? समापन
“भाइयों और बहनों,
श्राद्ध विधि का सार यही है कि हम अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें।
श्रद्धा और पवित्र भाव से किया गया श्राद्ध ही सच्चा श्राद्ध कहलाता है।
इसलिए इस पितृ पक्ष में हम सब पितरों का स्मरण करें, उन्हें अन्न-जल अर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
हर हर महादेव ?
जय श्रीराम। जय श्रीकृष्ण।”
