प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और महादेव की कृपा से सभी मुरादें पूरी होती हैं। पूजा करने के बाद गरीब लोगों या मंदिर में अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें। इससे साधक को जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है। साथ ही धन से हमेशा तिजोरी भरी रहती है।
प्रदोष व्रत डेट और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 जुलाई को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 23 जुलाई को सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में 22 जुलाई को भौम प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 18 मिनट से लेकर 09 बजकर 22 मिनट तक है। इस दौरान भक्त किसी भी समय महादेव की पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत पूजा सामग्री
दूध, पवित्र जल, सफेद चंदन ,बेलपत्र, धतूरा, गंगाजल, फल, शहद,अ क्षत, कलावा, कनेर का फूल, सफेद मिठाई, धूपबत्ती, आसन, वस्त्र, पंचमेवा, प्रदोष व्रत कथा की पुस्तक, शिव चालीसा, शंख आदि।
इन बातों का रखें ध्यान
प्रदोष व्रत के दिन किसी के बारे में गलत न सोचें।
किसी से वाद-विवाद न करें।
घर और मंदिर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।
तामसिक भोजन का सेवन न करें।
काले रंग के कपड़े धारण न करें।
जुलाई महीने में भौम प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। जब यह त्रयोदशी तिथि मंगलवार के दिन पड़ती है, तो उसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। भौम शब्द मंगल ग्रह से संबंधित है, और माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति मिलती है। जो लोग लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है। भौम प्रदोष व्रत आरोग्य प्रदान करने वाला भी माना जाता है। जो लोग किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या बार-बार अस्वस्थ रहते हैं, उन्हें यह व्रत करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। भगवान शिव की कृपा से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।
पूजा विधि
स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
शिवलिंग का जल, दूध और पंचामृत से अभिषेक करें।
बेलपत्र, धतूरा, सफेद चंदन, भस्म आदि अर्पित करें।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और शिव आरती करें।
प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
व्रत के दिन सात्विक आहार लें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।