बात समुद्र मंथन के समय की है। समुद्र मंथन से जब अमृत निकला तो अमृत पीने के लिए देवताओं व राक्षसों में छीना-झपटी होने लगी। तब मोहिनी रूप धर भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृतपान कराने के उद्देश्य से राक्षसों को भ्रमित कर अमृत बांटना शुरू कर दिया। राहु नामक एक राक्षस को मोहिनी पर जब संदेह हुआ तो वह चुपके देवताओं की पंक्ति में भेष बदल कर बैठ गया। अमृत बांटते बांटते मोहिनी के रूप में भगवान विष्णु भी उस राक्षस को नही पहिचान पाये और उसे भी अमृत दे दिया। परंतु तत्काल सूर्य और चंद्र के पहचानने पर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उस राक्षस का सिर धड़ से अलग कर दिया। सिर कटते ही अमृत की कुछ बूंदें उस राक्षस के मुंह से रक्त के साथ नीचे जमीन में गिरी, जिनसे प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई। अमृत से पैदा होने के कारण प्याज और लहसुन रोगनाशक व जीवनदायिनी है। परंतु राक्षसी रक्त के मिश्रण के कारण इसमें राक्षसी गुणों का समावेश हो गया है। इनके सेवन से शरीर राक्षसों की तरह बलिष्ठ होता है। ये उत्तेजना, क्रोध, हिंसा अशांति व पाप में वृद्धि करते है। इसलिए इसे राक्षसी भोजन माना गया है। रोगनाशक व जीवनदायिनी होने के बाद भी यह पाप को बढ़ाता है और बुद्धि को भ्रष्ट कर अशांति को जन्म देता है। इसलिए प्याज और लहसुन को अपवित्र मान कर इनका धार्मिक कार्यों में प्रयोग वर्जित है तथा देवी-देवताओं को इनका भोग नही लगाया जाता।
Similar Posts
How to know directions in Vastu?
Using compass to find Directions For Vastu applications precise knowledge of directions is essential for which we use magnetic compass where the compass needle always shows towards North.Place the compass in the middle of the building where the needle stops North direction is towards that side. 180 degrees from this side is South. 90 degrees…
निद्रा देवी का रोदन और श्री राम का वरदान
उमा अवधबासी नर नारि कृतारथ रूप।ब्रह्म सच्चिदानंद घन रघुनायक जहँ भूप॥47॥ भावार्थ:-(शिवजी कहते हैं-) हे उमा! अयोध्या में रहने वाले पुरुष और स्त्री सभी कृतार्थस्वरूप हैं, जहाँ स्वयं सच्चिदानंदघन ब्रह्म श्री रघुनाथजी राजा हैं॥ एक बार श्रीराम को नगर के बाहर किसी स्त्री का रोदन सुनायी पड़ा, उसे सुनकर श्री राम जी आश्चर्य में पड़…
सावन माह में ही रुद्राभिषेक का विशेष महत्व क्यों
मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर तरह की अच्छी मनोकामनओं की पूर्ति करते हैं। इस कारण से सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ का मंदिर और घर में रुद्राभिषेक करने का खास महत्व होता है। भगवान शिव का रुद्राभिषेक…
कनकधारा स्तोत्र का पाठ करते ही क्यों होने लगती है धन वर्षा, किसने की थी इसकी रचना?
Kanakadhara stotra: धर्म ग्रंथों के अनुसार दीपावली की रात में जब निशीथ काल हो तो कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. ऐसे करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन वर्षा करती हैं. ऐसा माना जाता है कि कनकधारा स्तोत्र के पाठ को करने से दरिद्रता का नाश और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है….
नाग पंचमी – 25 जुलाई 2024
जानें महत्व, कथा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि हिंदू धर्म में नाग पंचमी के पर्व का विशेष महत्व है। नाग देवताओं को समर्पित यह पर्व देश के कुछ राज्यों में सावन मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि यानी 25 जुलाई दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। वहीं कुछ राज्यों में सावन मास के शुक्ल पक्ष…
देवशयनी एकादशी का व्रत
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का खास महत्व बताया गया है। यह व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। एकादशी के दिन उपवास रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से श्री हरि की विशेष कृपा प्राप्त होती है। प्रत्येक महीने में 2 बार एकादशी का व्रत पड़ता है पहला शुक्ल पक्ष और दूसरा कृष्ण…