Product on sale

Shrisookt and Lakshmi Sookt Paath – श्रीसूक्त एवं लक्ष्मीसूक्त पाठ

1,100

श्रीसूक्त का पाठ करने वाले पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है। उसे आकस्मिक धन लाभ होता है। उसके उच्चपदाधिकारी उसका सम्मान करते है। इसलिए श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त या दोनो का पाठ अवश्य करना या करवाना चाहिए।

नोट: टीम के आने-जाने व रहने का व्यय आयोजक को करना होगा।

    • Visa Card
    • MasterCard
    • American Express
    • Discover Card
    • PayPal
    • Apple Pay
    Guaranteed Safe And Secure Checkout

    श्रीसूक्त एवं लक्ष्मीसूक्त पाठ 

    मित्रों मनुष्य जीवन मे हमेशा से धन का महत्व सबसे ज्यादा रहा है। नीतिकार श्री भर्तृहरि जी ने भी अपने नीतिशतक मे कहा है। यस्यास्ति वितं स नरः कुलीनः स पण्डितः स श्रुतिवान गुणज्ञ। सएव वक्ता स च दर्षनीयः सर्वे गुणाः कांचन माश्रयान्ति।। अर्थात जिस मनुष्य के पास वित्त यानी धन है आज के समय मे वही कुलीन है, वही पण्डित है अर्थात विद्वान है। वही श्रुतिवान अर्थात वही धार्मिक है वही नीतिवान है। वही गुणवान है, वही वक्ता है अर्थात उसकी ही बातें अच्छी लगती हंै। वही दर्शन करने के योग्य है। ये सारे गुण कंचन के है अर्थात धन के है। जिसके पास धन है अर्थात लक्षमी जी की कृपा है उसके सामने हर कोई झुकता है। उसके सारे कार्य अनायास ही पूर्ण हो जाते है।

    आज के आधुनिक युग मे कोई भी कार्य बिना धन के नही होता। लेकिन धन तब मिलता है जब लक्ष्मी जी की कृपा होती है। और लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उत्तम उपाय यही है की श्रीसूक्त या लक्ष्मीसूक्त के पाठ का विधिवत अनुष्ठान किया जाए।

    श्रीसूक्त लक्ष्मीसूक्त के पाठ से माता लक्ष्मी प्रसन्न हाकती है जिससे धन-धान्य की प्राप्ती होती है। यदि व्यापार न चल रहा हो तो श्रीसूक्त का पाठ करने से निश्चित सफलता मिलती है। नौकरी चाहने वाले को उत्तम और उच्चश्रेणी की नौकरी मिलती है। माता लक्ष्मी की कृपा से निःसन्तानों को सन्तान की प्राप्ति होती है। यदि खेत मे अन्न पैदा न हो रहा हो तो श्रीसूक्त का पाठ करने से लाभ होगा।

    ज्योतिष के अनुसार कुण्डली मे यदि शुक्र ग्रह अशुभ भाव मे हो या अशुभ ग्रह से दृष्ट होकर पीड़ा दे रहा हो तो माता लक्ष्मी की उपासना करें। घर मे यदि वास्तु दोष हो तो भी श्रीसूक्त एवं लक्ष्मीसूक्त के पाठ से शान्त हो जाता है। वंशानुक्रम से चली आ रही बीमारी भी माता लक्ष्मी की कृपा से शान्त हो जाती है। हृदयाघात, पक्षाघात की बीमारी मे भी श्रीसूक्त से राहत मिलती है।

    कार्य प्रणाली

    • ग्रह रचना – नवग्रह, सप्तमातृका, षोडश मातृका, कलश, गणेश गौरी वास्तु आदि
    • पूजन , स्तुती
    • जप लक्ष्मीगायत्री मन्त्र
    • पाठ प्रारम्भ
    • हवन , आरती
    • प्रसाद वितरण
    • ब्राह्मण व कन्या भोजन