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Ganpati Poojan – गणपति पूजन

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विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने का विधान है। गणपति की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी संकटों का नाश होता है, धन-संपदा, बुद्धि, वि​वेक, समृद्धि आदि में वृद्धि होती है।

टीम : 1 व्यक्ति

नोट: टीम के आने-जाने व रहने का व्यय आयोजक को करना होगा।

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    गणपति पूजन

    भगवान श्री गणेश जी माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र है इनका वाहन चूहा है जिसका नाम डिंक है। गणेश जी के कई नाम है जिनमे से ये 12 नाम मुख्य है:
    1. सुमुख, 2. एकदंत, 3. कपिल, 4. गजकर्ण, 5. लम्वोदर, 6. विकटानन, 7. विघ्ननाशक, 8. विनायक, 9. धूम्रकेतु, 10. गणाध्यक्ष, 11. भालचन्द्र, 12. गजानन

    गणेश जी का एक नाम प्रथमेश भी है क्योकि गणेश जी प्रथम पूज्य है। क्या आप जानते है गणेश जी प्रथम पूज्य क्यो है ? आइये हम बताते है। एक बार की वात है सभी देवताओं मे यह वहस हुई कि पृथ्वी पर प्रथम पूजा का अधिकारी कौन है। सभी देवता अपने आप को सर्बश्रेष्ठ और प्रथम पूजा का अधिकारी कहने लगे तब श्री देवर्षि नारद जी ने महादेव से फैसला करवाने की सलह दी। भगवान शिव ने एक प्रतियोगिता रख दी की जो भी देव अपने वाहन पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा कर सवसे पहले लौटेगा वही प्रथम पूजा का अधिकारी होगा। सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पडे। पर गणेश अपने वाहन चूहे पर बैठ कर यदि पृथ्वी की परिक्रमा करते तव तो कई बर्ष वीत जाते। गणेश जी को एक युक्ति सूजी और उन्होने अपने वाहन पर बैठ कर अपने माता-पिता के सात परिक्रमा कर लिए और हाथ जोड कर विनीत भाव से बैठ गए।

    जब पूरी पृथ्वी का परिक्रमा कर सबसे पहले कार्तिकेय जी आए तो प्रथम पूजा के स्थान पर गणेश जी को बैठा देख कर खिन्न हो गए। तब नारद जी ने कहा गणेश ने तो पूरी ब्रह्माण्ड की सात परिक्रमा कर ली है क्योंकि माता-पिता का स्थान ब्रह्माण्ड से बढकर है और गणेश जी ने अपने ब्रह्माण्ड रूपी अपने माता-पिता की सात परिक्रमा कर ली हैं। इसलिए गणेश जी ही प्रथम पूजा के अधिकारी है। तब से गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम होती है