प्रदोष व्रत भगवान शिव के मुख्य व्रतो मे से एक है जोकि बहुत ही शुभ फल दायक माना जाता है। इस व्रत को कोई भी स्त्री-पुरूष कर सकता है इस व्रत के प्रभाव से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। प्रदोष व्रत करनें से भगवान शिव अतिशीघ्र प्रसन्न होते है।
टीम : 1 व्यक्ति
नोट: टीम के आने-जाने व रहने का व्यय आयोजक को करना होगा।
मूँगा को धारण करने वाले का मन प्रसन्न रहता है। पेट दर्द तथा सूखा रोग नही होता। रक्त सम्वन्धित समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है। भाई-भाई मे प्रेम बढता है। स्वास्थ्य सम्वन्धित लाभ भी मिलता है जीवन साथी को सुख मिलता है।
भगवान शिव को रूद्राभिषेक सबसे ज्यादा प्रिय है। भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले व्यक्ति के असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं। भगवान शिव की कृपा से सारे ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का समूल नाश हो जाता है।
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भगवान सत्यनारायण की कथा घर मे अन्न धन के भण्डार भर देती है। माता लक्ष्मी की उसपर सदा कृपा रहती है। भगवान सत्यनारायण की कथा बन्धुजनों को सुख देने वाली तथा प्रेम-स्नेह बढाने वाली है। घर परिवार मे सुख- समृद्धि देने वाली है। संतान, यश, कीर्ति, वैभव, पराक्रम, सम्पत्ति, ऐश्वर्य सौभाग्य और शुभता प्राप्त होती है।
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भगवान रूद्र दुखनाशक हैं, पापनाशक तथा ज्ञानदाता हैं। सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करने से जो फल प्राप्त होता है वह फल शतरूद्री अर्थात रूद्राष्टाध्यायी के 100 पाठ करने से प्राप्त होता है। रूद्री का पाठ भगवान शिव को अतिप्रिय है। रूद्री का पाठ चारो वेदों के पारायण के तुल्य माना गया है।
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श्री विष्णु सहस्रनाम विधिवत पाठ कराने वाले का मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा बढ़ती है और वह अचल सम्पत्ति का मालिक बनता है। उसके घर लक्ष्मी जी सदा प्रसन्तापूर्वक निवास करती हैं। सभी रोग-शोक उससे दूर हो जाते हैं। उसे जन्म-मृत्यु, आधि-व्याधि का भी भय नही रहता। इसलिए विष्णु सहस्रनाम का पाठ अवश्य ही करना या कराना चाहिए।
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श्रीसूक्त का पाठ करने वाले पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है। उसे आकस्मिक धन लाभ होता है। उसके उच्चपदाधिकारी उसका सम्मान करते है। इसलिए श्री सूक्त या लक्ष्मी सूक्त या दोनो का पाठ अवश्य करना या करवाना चाहिए।
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मूँगा को धारण करने वाले का मन प्रसन्न रहता है। पेट दर्द तथा सूखा रोग नही होता। रक्त सम्वन्धित समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है। भाई-भाई मे प्रेम बढता है। स्वास्थ्य सम्वन्धित लाभ भी मिलता है जीवन साथी को सुख मिलता है।
जब कोई व्रत या अनुष्ठान बिधिवत सम्पन्न हो जाता है, पूर्ण हो जाता है तव उस व्रत या अनुष्ठान का उद्यापन करते है ऐसे करने से उस व्रत का पूर्ण फल हमें प्राप्त होता हो जाता है। जिस उद्देश्य या इच्छा से उस व्रत को किया था वह पूर्ण हो जाता है। अन्यथा फल की हानि होती है। इसलिए जव व्रत पूर्ण हो जाए तो अवश्य ही उद्यापन करा देना चाहिए।
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लक्ष्मी माता का व्रत शुक्रवार को किया जाता है इस व्रत को स्त्री या पुरूष कोई कर सकता है इस व्रत को करने से उपासक को धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ती होती है माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है तथा माता लक्ष्मी सुख पूर्वक घर मे निवास करती है।
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कभी कभी हमारा प्यारा घर अशुभ फल देने लगता है, घर मे कलह क्लेश बढ़नें लगता है। घर के सदस्य बीमार रहने लगते, अचानक दुर्घटनाओं का सामना करना पडता है और धीरे धीरे उस घर मे देखे सभी सपने टूट जाते है। इसका मुख्य कारण यह होता है कि आपने बिधि-बिधान से गृह प्रवेश नही किया या जाने-अन्जाने वास्तु नियमों का पालन नही किया। इस लिएग्रह तथा गृहक्लेश से बचने के लिए वास्तु शान्ति तथा वास्तु की देवी भद्रकाली माता का विधिवत पूजन अवश्य करें
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वास्तु को इस पुस्तक के माध्यम से आसानी से सीखा जा सकता है। हमने वास्तु के सभी सिद्धांतों को अध्यायवार लिखा है और उन्हें उचित उदाहरणों के साथ समझाया है। हमने वास्तविक मकानों के नक्शों के साथ उनकी वास्तु दोषों और समाधानों के वास्तविक केस स्टडी भी प्रदान किए हैं। बस पुस्तक को ध्यानपूर्वक पढ़ें और आप किसी भी घर/फ्लैट/फैक्टरी आदि का वास्तु परीक्षण कर सकते हैं।
इंसानों के लिए, भगवान का कानून
जिस घर/बिल्डिंग में हम रहते हैं उसे शास्त्रों के अनुसार देखकर पूरे परिवार के जीवन में चल रहे सभी कार्य (घटनाएँ) ईश्वर की दया से बताई जा सकती हैं और घर/बिल्डिंग को शास्त्रों के अनुसार भगवान की कृपा से बनाने पर सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान हो जाता है। यह भगवान का कानून है।