Description
सुन्दरकाण्ड पाठ संगीतमय
प्रनवहुँ पबन कुमार, खल बन पावक ज्ञान घन। जासु हृदय आगार, बसहि राम सर चाप धर।।
सुन्दर काण्ड का महत्व: वर्तमान समय कलियुग का समय हैं। कलियुग मे पाप अनाचार अत्याचार अपने चरम पर बढ़ता जा रहा है। और लोग अपने किये पाप कर्मों की सजा पा कर दुखी हो रहे हैं। मनुष्य दैवीय शक्तियो का दुरूपयोग ना करे इसलिए कलियुग मे सभी देवताआंे और मन्त्रांे की शक्तियो को महादेव ने कील दिया अर्थात सीमित कर दिया स्थिर कर दिया। अतः अधिकांश देवता पृथ्वी को छोड़ कर चले गये और मंत्र भी निष्क्र्र्र्रिय हो गये। किन्तु महावीर हनुमान की शक्तियो को कोई कील नही सकता क्योकि वे स्वयं महादेव ही है । एक हनुमान जी ही ऐसे है जिनके तेज प्रताप के आगे कोई नही ठहर सकता
आपन तेज सम्हारहु आपहि । तीनहु लोक हाक ते कापहिं।।
हनुमान जी ही अपने तेज प्रताप और शक्तियो को सम्हाल सकते है । अतः ऐसे असीमित शक्ति बल और बुद्धि के भण्डार हनुमान जी ही कलियुग की विषम परिस्थितियांे से हमारी रक्षा कर सकते हंै किन्तु हनुमान जी तब प्रसन्न होते है जब इनके साथ माता सीता और श्रीराम की भी गाथा गायी जाये।
सुन्दरकाण्ड मे श्रीराम और हनुमान अर्थात भक्त और भगवान की कथा है, साधक-साधन और साध्य की महिमा है। भक्ति, ज्ञान और वैराज्ञ की चर्चा है, आपत्तियांे और विपत्तियों का दमन है। काम क्रोध और अहंकार आदि का मर्दन है । परम सत्य से मिलन है। यह सभी बातें सुन्दर है इसलिये इस गाथा को सुन्दरकाण्ड कहते है । सुन्दरकाण्ड को पढ़ने से न सिर्फ आत्मशक्ति बढती है बल्कि इच्छाशक्ति भी प्रबल होती है। हनुमान जी की कृपा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है । ग्रहबाधा, पित्रदोष गृहक्लेश शान्त होते हैं। धन-धान्य की प्राप्ति होती है। मान-सम्मान बढ़ता है। रोग नष्ट होते हैं। बन्धन से मुक्ति मिलती है।
सुन्दर काण्ड पाठ हेतु कार्य प्रणाली
- पूजन- गणेश गौरी, कलश राम हनुमान आदि
- स्तुति श्री राम चन्द्र जी की
- स्तुति श्री हनुमान जी की
- सुन्दर काण्ड पाठ प्रारम्भ
- हनुमान चालीसा
- हनुमानाष्टक
- वजरंग वाण
- आरती
- प्रसाद बितरण
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