Kartikeya Avtar Katha
कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद, मुरुगन, और सुब्रह्मण्य के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और युद्ध के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। कार्तिकेय का अवतार हिंदू पौराणिक कथाओं में असुरों और दुष्ट शक्तियों के विनाश के लिए हुआ था।
कार्तिकेय, जिन्हें स्कंद, मुरुगन, और सुब्रह्मण्य के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। वे भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं और युद्ध के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। कार्तिकेय का अवतार हिंदू पौराणिक कथाओं में असुरों और दुष्ट शक्तियों के विनाश के लिए हुआ था।
कार्तिकेय के जन्म की कहानी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। पौराणिक कथा के अनुसार, तारकासुर नामक एक शक्तिशाली असुर ने देवताओं को पराजित कर दिया था और उसे केवल शिव-पुत्र ही मार सकता था। देवताओं की प्रार्थना पर शिव और पार्वती से कार्तिकेय का जन्म हुआ। उनकी उत्पत्ति से जुड़ी कई कथाएं हैं, जिनमें एक प्रमुख कथा के अनुसार वे अग्नि (अग्नि देव) और गंगा (गंगा नदी) के माध्यम से पैदा हुए थे।
कार्तिकेय का वाहन मयूर (मोर) है, और वे हाथ में शक्ति (भाला) धारण करते हैं। दक्षिण भारत में उनकी पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां वे तमिल संस्कृति में एक महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं। तमिलनाडु में स्थित पलानी, तिरुचेंदूर, और स्वामीमलाई जैसे स्थानों में उनके प्रमुख मंदिर हैं।
कार्तिकेय की कथा और उनकी पूजा न केवल युद्ध और वीरता के प्रतीक हैं, बल्कि ज्ञान और ज्ञान प्राप्ति का भी प्रतीक हैं। उनका अवतार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतिनिधित्व करता है और उनके उपदेश जीवन में सत्य और धर्म का पालन करने की प्रेरणा देते हैं।