Description
गायत्री मन्त्र पाठ
ॐ भूर्भुवः स्वरू तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
अर्थात उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण मे धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धी को सन्मार्ग मे प्ररित करें।
आज संसार के कई देशों के वेज्ञानिक गायत्री मन्त्र पर शोध कर रहे है। गायत्री मंत्र की श्क्ति को जानने का प्रयास कर रहे है। नासा के वैज्ञानिकांे ने अपने शोध मे पाया कि एक सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करने वाले की बौद्धिक क्षमता और शारीरिक कार्य कुशलता कई गुना अधिक हो सकती है। गायत्री मंत्र का जप करने वाले को कभी ब्रेनहेम्ब्रेज या हार्टअटैक नही होता। इस मन्त्र के प्रभाव से शरीर, मन तथा बुद्धि पूर्ण रूप से स्वस्थ रहते है। इसका जप करने वाला कभी भी नकारात्मक नही होता। नकारात्मक उर्जा को नष्ट करने शक्ति गायत्री मंत्र में है। जिसके घर मे प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप या कम से कम सवा लाख मंत्र जाप का अनुष्ठान होता है उस घर मे कोई विपत्ति नहीं आती। इस मंत्र के जाप से क्रोध कम होता है, बुराइयों से मन दूर रहता है, चेहरे पर चमक आती है, भगवान की भक्ति और धर्म मे मन लगता है और आत्मबल बढ़ता है।
यदि कोई कर्जे मे दबा हो, किसी का धन किसी दूसरे के पास फँसा हो, नौकरी न मिल रही हो, शत्रु अधिक परेशान करते हो तो गायत्री मंत्र के अनुष्ठान से सभी बाधाऐं दूर हो जाती है। यह मन्त्र छात्रों बच्चों के लिए बहुत ही उत्तम है क्यांेकि इसके जाप करने से बच्चों की बुद्धि खुल जाती है। विद्या चाहने वालों के लिए इससे अच्छा और कोई उपाय नहीं।
कार्य प्रणाली
- ग्रह रचना – सर्वतोभद्रमण्डल, वास्तु चक्र , योगिनी चक्र, क्षेत्रपाल, घृतमातृका, सप्त मातृका, नवग्रह, षोडश मातृका
- पूजन प्रति दिन
- जप गायत्री मन्त्र प्रतिदिन
- आरती
- हवन अन्तिम दिन
- प्रसाद वितरण
- कुमारी भोजन
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